कल्याणी कर्नाटक

कल्याणी कर्नाटक  

कल्याणी

कल्याणीबीदर ज़िला (मैसूरचालुक्यों की प्रसिद्ध राजधानी थी। यह तुलजापुर से हैदराबाद जाने वाली सड़क पर अवस्थित है। प्रारम्भ में यह उत्तर चालुक्य काल में राज्य के पश्चिमी भाग की राजधानी थी। मैसूर राज्य के 'भारंगी' नामक स्थान से प्राप्त पुलकेशियन चालुक्य के एक अभिलेख में कल्याणी का उल्लेख है।

इतिहास

पूर्व और उत्तर-चालुक्यकाल के बीच में राष्ट्रकूट नरेशों ने मलखेड़ नामक स्थान पर अपने राज्य की राजधानी बनाई थी, किन्तु चालुक्य राज्य के पुररुद्धारक तैला (973-997 ई.) ने कल्याणी को पुनः राजधानी बनने का गौरव प्रदान किया। 11वीं शती में चालुक्यराज सोमेश्वर प्रथम के राजत्वकाल में कल्याणी की गणना परम समृद्धिशाली नगरों में की जाती थी। धर्मशास्त्र के प्रसिद्ध ग्रंथ मिताक्षरा का रचयिता विज्ञानेश्वर कल्याणी-नरेश विक्रमादित्य चालुक्य की राजसभा का रत्न था। 12वीं शती के मध्य में चालुक्यों का राज्य कलचुरी नरेशों द्वारा समाप्त कर दिया गया। इसके बाद से कल्याणी से राजधानी भी हटा ली गई।

मैसूर  

मैसूरमैसूर पर्यटनमैसूर ज़िला
मैसूर
महाराजा पैलेस, मैसूर
विवरणमैसूर शहर, दक्षिण-मध्य कर्नाटक, भूतपूर्व मैसूर राज्य, दक्षिणी भारत में स्थित है।
राज्यकर्नाटक
ज़िलामैसूर
भौगोलिक स्थितिउत्तर- 12°3', पूर्व- 76°65'
मार्ग स्थितिमैसूर शहर सड़क द्वारा बैंगलोर से 139 किलोमीटर, हम्पी से 400 किलोमीटर, दिल्ली से 2,230 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
कब जाएँअक्टूबर से मार्च
कैसे पहुँचेंहवाई जहाज़, रेल व सड़क मार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डामैसूर हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशनमैसूर रेलवे स्टेशन
बस अड्डामैसूर सिटी बस अड्डा
यातायातऑटो रिक्शा, बस, टैम्पो, साइकिल रिक्शा
क्या देखेंमैसूर पर्यटन
कहाँ ठहरेंहोटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
क्या खायेंमैसूर पाक, रागी और अक्की रोटी, इडली सांभर, मसाला पुरी
क्या ख़रीदेंसिल्क की साड़ियाँ, चंदन की लकड़ी के सामान
एस.टी.डी. कोड0821
ए.टी.एमलगभग सभी
Map-icon.gifगूगल मानचित्र
भाषाकन्नड़ भाषाअंग्रेज़ीतमिलहिन्दी
अन्य जानकारी1799 ई. से 1831 ई. तक यह मैसूर रियासत की प्रशासनिक राजधानी था और अब मैसूर बंगलोर के बाद कर्नाटक राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है।
बाहरी कड़ियाँअधिकारिक वेबसाइट
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मैसूर शहर, दक्षिण-मध्य कर्नाटक, भूतपूर्व मैसूर राज्य, दक्षिणी भारत में स्थित है। यह चामुंडी पहाड़ी के पश्चिमोत्तर में 770 मीटर की ऊँचाई पर लहरदार दक्कन पठार पर कावेरी नदी व कब्बानी नदी के बीच स्थित है। 1799 ई. से 1831 ई. तक यह मैसूर रियासत की प्रशासनिक राजधानी था और अब बंगलोर के बाद कर्नाटक राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। मैसूर भारतीय गणतंत्र में सम्मिलित एक राज्य तथा नगर है। इसकी सीमा उत्तर-पश्चिम मुंबई, पूर्व में आन्ध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिलनाडु और दक्षिण-पश्चिम में केरल राज्यों से घिरी हुई है। अपनी क्रेप सिल्क की साड़ियों, चंदन के तेल और चंदन की लकड़ी से बने सामान के लिए मशहूर यह स्थान वुडयार वंश के शासन काल में उनकी राजधानी हुआ करता था। वुडयार राजा कला और संस्कृति प्रेमी थे। अपने 150 वर्ष के शासन काल में उन्होंने इसे बहुत बढ़ावा दिया। उस दौरान मैसूर दक्षिण की सांस्कृतिक राजधानी बन गया। मैसूर महलों, बगीचों और मंदिरों का नगर है। आज भी इसकी ख़ूबसूरती क़ायम है। कर्नाटक संगीत व नृत्य का यह प्रमुख केंद्र है।

पौराणिक उल्लेख

मैसूर शहर के आस-पास की भूमि पर वर्षा के जल से भरे उथले जलाशय हैं। इस स्थान का उल्लेख महाकाव्य महाभारत में 'महिष्मति' के रूप में हुआ है। मौर्य काल, तीसरी शताब्दी ई. पू. में यह 'पूरिगेरे' के नाम से विख्यात था। महिष्मंडल महिषक लोग महिष्मति, नर्मदा घाटी से प्रवास कर यहाँ पर बस गए थे। बाद में यह महिषासुर कहलाया था।

इतिहास

मैसूर शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके प्राचीनतम शासक कदम्ब वंश के थे, जिनका उल्लेख टॉल्मी ने किया है। कदम्बों को चेरोंपल्लवों और चालुक्यों से युद्ध करना पड़ा था। 12वीं शताब्दी में जाकर मैसूर का शासन कदम्बों के हाथों से होयसलों के हाथों में आया, जिन्होंने द्वारसमुद्र अथवा आधुनिक हलेबिड को अपनी राजधानी बनाया था। होयसल राजा रायचन्द्र से ही अलाउद्दीन ख़िलज़ी ने मैसूर जीतकर अपने राज्य में सम्मिलित किया था। इसके उपरान्त मैसूर विजयनगर राज्य में सम्मिलित कर लिया गया और उसके विघटन के उपरान्त 1610 ई. में वह पुन: स्थानीय हिन्दू राजा के अधिकार में आ गया था।इस राजवंश के चौथे उत्तराधिकारी चिक्क देवराज ने मैसूर की शक्ति और सत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि की। किन्तु 18वीं शताब्दी के मध्य में उसका राजवंश हैदरअली द्वारा अपदस्थ कर दिया गया था और उसके पुत्र टीपू सुल्तान ने 1799 ई. तक उस पर राज्य किया। टीपू की पराजय और मृत्यु के उपरान्त विजयी अंग्रेज़ों ने मैसूर को संरक्षित राज्य बनाकर वहाँ एक पाँच वर्षीय बालक कृष्णराज वाडियर को सिंहासन पर बैठाया था। कृष्णराज अत्यंत अयोग्य शासक सिद्ध हुआ, 1821 ई. में ब्रिटिश सरकार ने शासन प्रबंध अपने हाथों में ले लिया, परंतु 1867 ई. में कृष्ण के उत्तराधिकारी चाम राजेन्द्र को पुन: शासन सौंप दिया। उस समय से इस सुशासित राज्य का 1947 ई. में भारतीय संघ में विलय कर दिया गया।

मैसूर-युद्ध

1761 ई. में हैदर अली ने मैसूर में हिन्दू शासक के ऊपर नियंत्रण स्थापित कर लिया। निरक्षर होने के बाद भी हैदर की सैनिक एवं राजनीतिक योग्यता अद्वितीय थी। उसके फ़्राँसीसियोंसे अच्छे सम्बन्ध थे। हैदर अली की योग्यता, कूटनीतिक सूझबूझ एवं सैनिक कुशलता से मराठे, निज़ाम एवं अंग्रेज़ ईर्ष्या करते थे। हैदर अली ने अंग्रेज़ों से भी सहयोग माँगा था, परन्तु अंग्रेज़ इसके लिए तैयार नहीं हुए, क्योंकि इससे उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी न हो पाती। भारत में अंग्रेज़ों और मैसूर के शासकों के बीच चार सैन्य मुठभेड़ हुई थीं। अंग्रेज़ों और हैदर अली तथा उसके पुत्र टीपू सुल्तान के बीच समय-समय पर युद्ध हुए। 32 वर्षों (1767 से 1799 ई.) के मध्य में ये युद्ध छेड़े गए थे।

युद्ध

भारत के इतिहास में चार मैसूर युद्ध लड़े गये हैं, जो इस प्रकार से हैं-

  1. प्रथम युद्ध (1767 - 1769 ई.)
  2. द्वितीय युद्ध (1780 - 1784 ई.)
  3. तृतीय युद्ध (1790 - 1792 ई.)
  4. चतुर्थ युद्ध (1799 ई.)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ↑ 1.0 1.1 1.2 1.3 मैसूर (हिंदी) इंडिया वाटर पोर्टल हिंदी। अभिगमन तिथि: 1 जनवरी, 2013।
  2.  चार शताब्दी पुरानी है मैसूर दशहरे की भव्य परंपरा(हिंदी) दक्षिण भारत राष्ट्रमत। अभिगमन तिथि: 1 जनवरी, 2013।
  3.  संग्रहालयों का भी शहर है मैसूर (हिंदी)(एच.टी.एम.एल) दक्षिण भारत राष्ट्रमत। अभिगमन तिथि: 1 जनवरी, 2013।


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